निर्जला एकादशी में ध्यान देने योग्य बाते भूल कर भी न करे ये गलतिया

 

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाती है निर्जला एकादशी।  हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व ह।  यह व्रत भगवन विष्णु और माँ लक्ष्मी को समर्पित है

निर्जला एकादशी व्रत और दान का महत्व:-

धन धन्या और खुशियों की कोई कमी नहीं रहती श्री नारायण लक्ष्मी के प्रसन्न होने से तमाम तरह के दुखों का निवारण होता है

एकादशी के दिन तुलसी माता और भगवन विष्णु की आराधना करने से आपके कष्टों का निवारण हो सकता है और आपके लिए धन के मार्ग में आने वली बाधाएँ दूर हो जाएग।  इसलिए आपको उन उपायों को करने की आवश्यंकता होगी जो की एकादशी के दिन के लिए बहुत ही चमत्कारी सिद्ध होते ।

निर्जला एकादशी व्रत काफी कठोर होता है.इस व्रत में व्रत करने वाला व्यक्ति जल भी ग्रहण नहीं कर सकता।

यह व्रत कही कठिन होता है इस व्रत को करने के लिएद काफी इच्छाशक्ति और संयम की आवश्कता होती है ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी होने से यह व्रत और मुश्किल हो जाता है क्युकी इस व्रत में पुरे दिन पानी नहीं पीना होता है।

इस दिन दान करने वाली चीजें:-

व्रत के दौरान छाता, खड़ाऊ,जल से भरा घड़ा, खरबूज आदि. दान किया जा सकता है।

निर्जला व्रत के दौरान सुनी जाने वाली व्रत कथा।:-

प्राचीन कल की बात है की एक बार भगवन भीम ने वेद व्यास जी से कहा की उनकी माता और सभी लोग एकादशी का व्रत रखने को कहते है लेकिन उनसे भूखा नहीं रहा जाता था।  इसी बात पर वेद व्यास जी ने भीम से कहा की अगर तुम नरग और स्वर्ग के बारे में जानते हो तो हर महीने आने वाली एकादशी के दिन अन्न मत ग्रहण करो तब भीम ने कहा की पोरे साल में कोई एक व्रत नहीं रखा जा सकता क्या जिससे की स्वर्ग की प्राप्ति हो जाये ? क्योकि हर मास व्रत करना उनके लिए संभव नही। तब वेद जी ने उन्हें एकादशी व्रत के बारे में बताय।  निर्जला एकादशी के दिन अन्न और जल को ग्रहण करने की मनाही होती है और द्वारदर्शी के दिन भगवन सूर्य को स्नान करने के पश्चात् ब्रामणो को दान देना चाहिए और भोजन करना चाहिए फिर स्वयं व्रत करने का निश्चय करना चाहिय।  इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है मृत्यु के बाद।

 

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